प्यार हुआ चुपके से ( 7 )
★★★
रास्ते में अयान बड़बड़ा हुआ जा रहा था। "भगवान करे ये दोनों आज के आज ही यहां से चली जाए। ऐसा नहीं हुआ तो मैं इनको भगा दूंगा।"
"अरे भईया.." यह आवाज सुनकर अयान वास्तविकता में आ गया। आवाज सुनकर उसने अपने चारों ओर देखा तो पाया कि खुद से बातें करते हुए वह कब फेरी वाले के पास आ गया उसे पता ही नही चला।
"क्या बात है भईया? कौन सी दुनिया में खोए हुए हो।" फेरी वाले ने अपनापन दिखाते हुए पुछा।
"कही नही भईया! बस कुछ सोच रहा था।" अयान ने दो टुक जवाब दिया।
"खाने में क्या लोगे भईया?" फेरी वाले की बात सुनकर उसे याद आया कि वह यहां पर खाने के लिए ही आया था।
"टिक्की चाट दे दो भईया।" फेरी वाला इतनी बात सुनते ही टिक्की की चाट लगाने लगा। चाट लगते ही उसने प्लेट अयान के हाथ में थमा दी। वह पास में ही खड़ा होकर खाने लगा। चाट खाते खाते उसके दिमाग में ना जाने क्या आया जिसकी वजह से उसके चेहरे के भाव बदलने लगे। उसने अपनी चाट पूरी खाई और पैसे देकर वहां से चला गया।
घर पर वें तीनों बैठी हुई खाना खा रही थी। खाना खाते हुए आर्शिया शिवांशिका की तरफ देखकर आंखों से कुछ इशारे करने लगी। पहले तो उसने आर्शिया को देखा नही पर जब शिवांशिका की नजर उस पर पड़ी तो वह पागलों की तरह हरकतें करने लगी। उसे इस तरह से देख कर आर्शिया अपना सिर पीटने लगी।
"क्या हुआ तुम दोनों को?" विशालाक्षी ने बारी बारी से दोनों की तरफ देखते हुए पूछा। जो काफी देर से उन दोनों की हरकतों को ही देख रही थी।
"कुछ नही।" आर्शिया ने सकपकाते हुए जवाब दिया।
"तुम बताओगी भी आखिर माजरा क्या है?" विशालाक्षी ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए हुए शिवांशिका को घूरते हुए पूछा।
"अम्म...." इतना कहते ही वह हकलाने लगी।
"बताओगी भी।" विशालाक्षी ने दोबारा जोर देते हुए पूछा।
इतना सुनते ही शिवांशिका ने सब कुछ विशालाक्षी को बता दिया जो जो उन दोनों के साथ हुआ था।
"इस लड़की के पेट में कोई भी बात नही पचती।" आर्शिया शिवांशिका को देखकर मन ही मन बोली और फिर आगे सोचने लगी। "वैसे अच्छा ही किया बता दिया। बताना तो था ही। वैसे भी रहने के नाम पर इसी जगह से ही तो उम्मीद है।" इतना सोचते ही वह मन ही मन मुस्कुराने लगी।
"तो तुम दोनों यहां पर रह लेना।" इतना सुनकर आर्शिया विशालाक्षी की तरफ देखने लगी और फिर बोली। "रहने दीजिए आप लोगों को परेशानी होगी। हम कही और देख लेंगे।"
"परेशानी होती तो मैं सीधा पीजी का पता बताती नाकि यहां रहने को बोलती।" विशालाक्षी ने सपाट से भाव से जवाब दिया। इतना सुनकर आर्शिया उसे अजीब तरीके से देखने लगी।
"परेशानी किस बात की। तुम दोनों किराया दे देना। जैसे एक पीजी में रहती हो वैसे ही यहां पर रहोंगी। इसमें मुंह बनाने वाली तो कोई बात नही।" विशालाक्षी ने सपाट भाव से जवाब दिया।
"मै भी ये ही बोलने वाली थी।" कुछ ना सूझने पर आर्शिया ने जवाब दिया और फिर शिवांशिका की तरफ देखने लगी। जो पागलों की तरह विशालाक्षी को ही देख रही थी।
"तो फिर चलो तुम दोनों के रहने का इंतजाम कर देते है। " इतना कहते ही विशालाक्षी घड़ी की तरफ देखनी लगी और फिर आगे बोली। "अभी तो पूरा दिन पड़ा हुआ है। आराम से सामान लग जाएगा।" अपनी बात पूरी करते ही वह उन दोनों की तरफ देखने लगी। उनके चेहरे के भावों को देखकर वह बोली। "अगर आज थकावट हो रही है तो कल कर लेंगे।"
"नही....! कोई थकावट नही हो रही। हम दोनों आज ही कर लेंगी।" उसने यह बात विशालाक्षी की बात को बीच में ही काटते हुए कही और फिर उसने शिवांशिका का हाथ पकड़कर उसे उसकी जगह से खड़ा कर दिया।
तीनों ने अपने बर्तन उठाए और फिर बारी बारी किचन में जाकर धो कर रख दिए।
खा पी कर जब अयान घर आया तो उसे दरवाजा खोलते ही अजीब अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी। वह दबे हुए पैरों से अंदर जाने लगा। अंदर जाते ही उसने देखा कि तीनों की तीनों लड़की समान को इधर से उधर ले जा रही थी। वें कभी स्टडी रूम में जाती तो कभी विशालाक्षी के रूम में जाती। तो कभी ड्राइंग रूम के पास बने हुए स्टोर रूम में। बहुत देर तक अयान खड़ा हुआ ये सब देखता रहा। फिर अपनी बहन को रोकते हुए बोला। "विशु ये सब क्या हो रहा है?" इतना सुनते ही विशालाक्षी अपनी जगह पर ही रुक गई और फिर आगे बोली। "आकर सब बताती हूं। पहले ये स्टूल रख आऊं।" इतना कहते ही वह वहां से चली गई। उसके जाते ही अयान थोड़ी दूरी पर ही रखी डायनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद विशालाक्षी भी उसके पास आ कर बैठ गई।
"ये सब क्या कर रही हो तुम?" उसके आते ही उसने आग बबूला होते हुए पूछा।
"कुछ भी नही।" विशालाक्षी ने सीधा सा जवाब दिया। जिसे सुनकर अयान झुंझलाने लगा। वह अपनी झुंझलाहट पर काबू पाते हुए बोला। "ये समान इधर से उधर क्यों किया जा रहा है।"
"क्योंकि अब ये दोनों हमारे यहां पैन गेस्ट बन कर रहेगी।" विशालाक्षी ने अपने भाव को बरकरार रखते हुए जवाब दिया।
"क्यों?" वह आगे कुछ बोल पाते उस से पहले ही विशालाक्षी बोल पड़ी। "क्यों क्या? पागल हो गए हो क्या तुम? अब इन दोनों को ऐसे थोड़े ही कही पर भी भेज देंगे। ये दोनों अब यही पर रहेगी।"
"पर..."
"पर, वर कुछ नही। ज्यादा पूछा तो मैं मम्मी पापा को फोन करके बता दूंगी। फिर तुम करते रहना पर वर।" विशालाक्षी ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा और अयान मन मसोस कर रह गया।
"और हां भारी सामान उठाने में हमारी मदद कर दो। बहुत देर से तुम्हारा ही वैट कर रहे है।" इतना कहते ही वह वहां से चली गई। अयान जाती हुई अपनी बहन को बस देखता ही रह गया।
शाम तक सारा सामान जगह पर लग गया। स्टोर रूम जोकि की एक्स्ट्रा किचन थी, को साफ करके दोबारा से किचन बना दिया। स्टडी रूम को विशालाक्षी का कमरा और विशालाक्षी के कमरें को उन दोनों को दे दिया गया था।
तभी अयान की नजर ड्राइंग रूम में रखी हुई किताबों पर पड़ी। जिसे देखकर उसके चहरे के भाव बदल गए।
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क्या मोड़ लेगी ये कहानी। जानने के लिए साथ बने रहिए और अपने प्यारे प्यारे कॉमेंट करते रहिए 🤗। टाइम से नोटिफिकेशन के लिए फॉलो कर लीजिए❣️
आँचल सोनी 'हिया'
25-Aug-2022 12:49 AM
Achha likha hai aapne 🌺🙏
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𝐆𝐞𝐞𝐭𝐚 𝐠𝐞𝐞𝐭 gт
24-Aug-2022 10:30 PM
रोचक भाग था। बेचारा अयान!😂 क्या सोचा था उसने, क्या हो गया! देखते है क्या खुराफात चल रही है उसके दिमाग में!
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Chudhary
07-Jul-2022 12:07 AM
Nice
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